सम्यग्दर्शन-ज्ञान-चारित्राणि मोक्षमार्ग:{श्री तत्वार्थाधिगम सूत्र (1-1)}
मंज़िल पाने के लिए मार्ग पर चलाना अनिवार्य है। लेकिन चलने से पूर्व मार्ग का दर्शन और ज्ञान सम्यग् होना जरूरी है। ज्ञान पाने के बाद चलने की क्रिया नहीं करेगे तो मंजिल मिलेगी नहीं।जिनशासन में आज छोटे बच्चे एंव युवाओं को धर्म का ज्ञान देने के लिए हजारों की संख्या में पाठशाला चल रही हैं। सभी पाठशालाएं अपने स्तर पर युवा और बच्चों मे अच्छे धर्म संस्कार के लिए समुचित प्रयत्न कर रही हैं।
धर्मप्रमी संस्कार वाटिका विषेशरूप से हिन्दी भाषी विद्यार्थीओं के धर्म संस्कारो के लिए प्रयास रत है। यह धर्मप्रेमी संस्कार वाटिका चैन्नई मे चलने वाली संस्कार वाटिका की एक शाखा स्वरूप है। हिन्दी भाषी विद्यार्थीओं को केन्द्र में रख कर चैन्नई की संस्कार वाटिका के कोर्स में बदलाव किया गया है और कुछ अधिक समाविष्ट भी किया गया है।
धर्मप्रेमी संस्कार वाटिका अध्ययन सामग्री को भक्तियोग, ज्ञानयोग और क्रियायोग मे विभाजित करके छोटे बच्चे एवं युवाओ को संस्काररित करने का प्रयास करेगा। पांच कक्षा में पढकर विद्यार्थी जिनशासन की नींव के पदार्थ जान जाएगा और पांच प्रतिक्रमण ,स्नात्र पूजा ,पौषध आदि सभी योगो मे माहिर हो जाएगा।
हर चार महिने मे एक बार धर्मप्रेमी संस्कार वाटिका की theoretical और practical exam ली जाएगी। अच्छे नंम्बर प्राप्त करने वाले विद्यार्थीओं को प्रमाणपत्र एवं ईनाम देकर सम्मानित किया जाएगा।
इस कोर्स को हम पाठशाला के रूप में चलायेंगे साथ-साथ मे online भी चलायेंगे। मतलब की यदि विद्यार्थी को पाठशाला के समय मे कोचिंग, ट्यूशन आदि होने के कारण पाठशाला आने की अनुकूलता नही है तो वह धर्मप्रेमी संस्कार वाटिका का syllabus online भी पढ़ सकता है, परीक्षा की तैयारी करके परीक्षा के नियत किये गए केंद्र पर परीक्षा भी दे सकता है। हाँ, practical ज्ञान पाने के लिए कुछ दिन उसे नजदीक की पाठशाला आना जरूरी होगा या संचालक को पूछकर उचित व्यक्ति से मार्गदर्शन ले सकेगा। Self Learning Pathshala app. से (SLP से) online सूत्र का उच्चारण आदि भी सीख सकते है।
Online और app से ज्ञान पाने वाले विद्यार्थियों के प्रशिक्षण का सही परिचय परीक्षा के जरिये हो ही जायेगा।
अभ्यास पाठ्यक्रम(syllabus
1.भक्तियोग: (सम्यग्दर्शन की आराधना)
- प्रभु के दर्शन एवं पूजा की विधि- अष्टप्रकारी पूजा, चैत्यवंदन आदि......
- प्रभु की पूजा क्यों? क्या जिनपूजा करना पाप है या धर्म? पूजा में भगवान के अभिषेक में दूध का उपयोग wastage है? ऐसे बहुत सारे प्रश्नों का तर्कसंगत समाधान
- स्नात्र पूजा विधि - practical
- स्तुति, स्तवन आदि.......
2 .ज्ञान योग : (सम्यग्ज्ञान की प्राप्ति एवं आराधना)
- पंच प्रतिक्रमण - नवस्मरण तक के सूत्र एवं अर्थ का ज्ञान
- G.K. of jainism (general knowledge of jainism)- जिनशासन का सामान्य ज्ञान
(A) अपने प्रभु , अपने गुरु , अपना धर्म.
(B) 24 प्रभु के नाम -लांछन(चिह्न),माता-पिता का नाम
(C) अपने तीर्थ, अपने पर्व
(D) सात क्षेत्र:- परिचय, आराधना, औचित्य और आय एवं व्यय
(E) OUR SUPER STARS....जिनशासन के गगन में चमकते सितारे(History)
(F) जीवविचार, नवतत्व (as a further study-standard 6th.....)
(G) हमारा आहार विज्ञान एवं यतना....
3. क्रिया योग :- (सम्यग्चारित्र की आराधना)
- गुरुवंदन, सामायिक लेना- पारना, प्रतिक्रमण, आदि....
- खमासमण के 17 संडासा, मुहपत्ति के 50 बोल, वांदणा के 25 आवर्त....
- पौषध की सम्पूर्ण विधि....
- यतना के लिए practical project
पू.गणि श्री धैर्यसुन्दर विजयजी म. एवं मुनि श्री निर्मोहसुंदर विजयजी म.के मार्गदर्शन से यह पाठशाला चलेगी। समय-समय पर practical भक्ति और क्रियायोग की training के लिए शिविर भी लगाई जाएगी।